Skip to main content

ऊर्जा सुरक्षा के पथ पर भारत अग्रसरः उज्ज्वला योजना की अहम भूमिका

देश के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस क्षेत्र के इतिहास में नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने शासनकाल के पहले तीन वर्षों के दौरान उज्ज्वला योजना, सब्सिडी छोड़ो योजना, ऊर्जा गंगा योजना सहित कई नई पहल शुरू करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में उतार-चढ़ाव जैसी परिस्थितियों का सामना किया।
ऊर्जा सुरक्षा के उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में निश्चित कदम उठाते हुए सरकार ने एलपीजी नेटवर्क को फैलाकर इस क्षेत्र को समृद्ध बनाने की योजना पर काम किया। ऊर्जा सुरक्षा के लिए रास्ता तैयार करने की दिशा में निम्न, मध्य और उच्च वर्गों के लिए कई पहलों की शुरुआत की गई और कई अन्य पहल अभी विचाराधीन हैं।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली 2 करोड़ से अधिक महिलाओं को गैस सिलेंडर वितरित किए गए। सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत अगले तीन सालों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली 5 करोड़ से अधिक महिलाओं को नए एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए 8000 करोड़ रुपये को मंज़ूरी दी है।  
अन्य प्रमुख योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना नए कनेक्शन जारी करने के मामले में वित्त वर्ष 2016-17 में निर्धारित लक्ष्य को पार गई है। बीपीएल परिवारों के लिए शुरू की गई उज्ज्वला योजना के अंतर्गत पहले ही साल में 2.20 करोड़ से ज्यादा एलपीजी कनेक्शन वितरित किए जा चुके हैं।
केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेन्द्र प्रधान के अनुसार वित्त वर्ष के लिए निर्धारित किए गए 1.5 करोड़ के लक्ष्य को पार कर लिया गया है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत पिछले वर्ष 1 मई को उत्तर प्रदेश के बलिया में की गई थी।
वित्त वर्ष 2016-17 में तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने 3.25 करोड़ नए एलपीजी कनेक्शन जारी किए हैं। किसी भी एक वित्त वर्ष में जारी यह सबसे अधिक एलपीजी कनेक्शन हैं। अब देशभर में कुल एलपीजी उपभोक्ताओं की संख्या 20 करोड़ के पार पहुंच गई है। यह साल 2014 में 14 करोड़ एलपीजी उपभोक्ताओं की तुलना में काफी लंबी छलांग है।
एलपीजी की मांग में 10% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले तीन वर्षों में 4600 नए एलपीजी वितरकों को जोड़ा गया है, इनमें से ज्यादातर वितरक ग्रामीण या उससे सटे हुए क्षेत्रों में जोड़ गए हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि नए उपभोक्ताओं में से 85 फीसदी से भी अधिक उपभोक्ताओं ने सिलेंडर को दोबारा भरवाने के लिए गैस एजेंसियों से संपर्क किया है। पीएमयूवाई के अंतर्गत करीब 38 फीसदी लाभार्थी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से हैं।
‘पहल’ नामक विश्व की सबसे बड़ी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना ने बिचौलियों को खत्म कर, उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सब्सिडी की राशि को उपभोक्ता के पंजीकृत बैंक खाते में सीधे स्थानांतरित करना सुनिश्चित किया है।
योजना शुरू होने के बाद, 40,000 करोड़ रुपये से भी अधिक सब्सिडी राशि, 204 करोड़ लेनदेन के माध्यम से एलपीजी उपभोक्ताओं के बैंक खातों में सीधे हस्तांतरित की जा चुकी है।
पहल योजना की सफलता का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इस योजना को विश्व की सबसे बड़ी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना के रूप में गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। इस योजना के परिणामस्वरूप, पिछले दो वर्षों में 21,000 करोड़ रुपये अथवा 3.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की अनुमानित बचत भी हुई है।
देशभर में सब्सिडी छोड़ने की पहल का डंका भी खूब गूंजा। 1.05 करोड़ परिवारों ने स्वैच्छिक रूप से अपनी एलपीजी सब्सिडी को त्याग दिया, ताकि इस सब्सिडी का लाभ ज़रूरतमंद उपभोक्ताओं को मिल सके। वित्त वर्ष 2015-16 में करीब 64 लाख ऐसे नए बीपीएल परिवारों को गैस कनेक्शन जारी किए गए, जिन्होंने स्वैच्छा से सब्सिडी न लेने का निर्णय लिया।
वाराणसी के निवासियों को आगामी दो वर्षों में पाइप लाइन के जरिए रसोई गैस मुहैया कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा महत्वाकांक्षी “गंगा ऊर्जा” योजना की शुरुआत की गई। यह योजना वाराणसी के बाद, झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लोगों की ज़रूरतों को भी पूरा करेगी।
यह योजना पांच राज्यों के 40 ज़िलों और 26 गांवों की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करेगी। यह योजना तीन बड़े उर्वरक संयंत्रों के पुनरुत्थान के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी। यह 20 से अधिक शहरों में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देगी और 7 शहरों में गैस नेटवर्क का विकास करने में मदद करेगी, जिसके परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में नौकरियों की संभावना बढ़ेगी।
पिछले कुछ सालों के दौरान देश में रिफाइनिंग क्षमता में काफी अधिक वृद्धि हुई है। पारादीप रिफाइनरी के चालू से वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान रिफाइनिंग क्षमता में 15 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) की क्षमता का विस्तार हुआ है। इस वृद्धि के साथ, अब रिफाइनिंग क्षमता 230.066 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष पर पहुंच गई है।
सरकार ने घरेलू स्तर पर मांग को पूरा करने के लिए देश में तेल और गैस का उत्पादन बढ़ाने के लिए कई नीतिगत पहल और प्रशासनिक उपाय किए हैं।
सरकार ने विभिन्न चरणों के अंतर्गत 01 अप्रैल 2017 से देशभर में बीएस-4 ऑटो ईंधन के कार्यान्वयन को अधिसूचित कर दिया है। यह निर्णय लिया गया है कि देश बीएस -4 से सीधे बीएस -6 ईंधन के मानकों पर पहुंचेगा और बीएस -6 मानकों को 1 अप्रैल, 2020 से लागू कर दिया जाएगा।
इंडियन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व्स लिमिटेड (आईएसपीआरएल) ने विशाखापट्टनम, मैंगलोर और पादुर में तीन स्थानों पर 5.33 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) की भंडारण क्षमता के साथ स्ट्रेटेजिक क्रूड ऑयल के भंडारण का निर्माण किया है।
सरकार ने राष्ट्रीय तेल कम्पनियां ओएनजीसी और ओआईएल द्वारा किए गए 69 हाइड्रोकार्बन खोजों से मुनाफा कमाने और धन अर्जित करने के लिए खोजी लघु क्षेत्र नीति को भी मंजूरी दी है। ये वही परियोजनाएं हैं, जहां पृथक स्थान, भंडारण का छोटा आकार, उच्च विकास लागत, तकनीकी बाधाएं, वित्तीय व्यवस्था आदि विभिन्न कारणों से कई वर्षों से धन अर्जित नहीं किया जा सका है।
यह गुवाहाटी, बोंगाइगांव और नुमालिगढ़ रिफाइनरी के विस्तार, नुमालिगढ़ में बायो-रिफाइनरी की स्थापना और राज्य में प्राकृतिक गैस, पीओएल एवं एलपीजी पाइपलाइन के नेटवर्क को विकसित करने का प्रस्ताव करता है। हाइड्रोकार्बन विजन डॉक्यूमेंट 2030, पूर्वोत्तर में तेल और गैस क्षेत्र में वर्ष 2030 तक 1.3 लाख करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव करता है।
सरकार ने इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2017-18 के बजट में कई उपायों की घोषणा की थी। इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई पहलों में से मुख्य पहलों में - एलएनजी पर सीमा शुल्क को घटाकर 5% से 2.5% करना, दो और स्ट्रेटेजिक तेल भंडारों की स्थापना, उच्च जोखिम को उठाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के पीएसयू का एकीकरण और तेल पीएसयू की क्षमता को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के एक बड़े तेल उपक्रम का निर्माण, अर्थव्यवस्था का लाभ उठाना, उच्च निवेश से जुड़े फैसले लेना और हितधारकों के लिए अधिक मूल्य का सृजन करना आदि शामिल हैं।
****

*लेखक यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया के पूर्व संपादक हैं। वह काफी अधिक यात्रा करने वाले पत्रकार हैं। अपने 30 वर्षों के करियर के दौरान उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विषय एवं कार्यक्रमों पर लिखा है। वह प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य भी थे।

लेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक के अपने हैं।

Comments

Popular posts from this blog

“Tension lene ka nahin, sirf dene ka”;Khamosh

"Anything But Khamosh " is the Biography of Yester years Silver screen popular star  Shatrughan Sinha,currently the ruling BJP MP from Bihar,the Northern India’s Crucial Hindi heartland state.The Book is released this week  with fanfare.  The befitting  title is reminiscent of his famous filmy dialogue on which he mastered over years and it became his brand .During electioneering too the Star of gone-bye era make delivery of the word many times and draw  repeated claps.    Unfazed by subtle bids to silence his vociferous opposition to the Narendra Modi government  Shatrughan cleverly deflects shots of those opposing him.His acidic tweets which do not spare high and mighty in the power corridors   are always talk of the Town, especially news rooms but no action was initiated against him by the party he keeps on daring on vital issues significant for the organization’s health. His party colleague and BJP MP from same sta...

Eminent Educationist Prof. Pritam B Sharma hoists flag of concerns on poor quality education; seeks thorough review

As India basked in glory of its 70 years of Independence, An eminent educationist and President of the Association of Indian Universities Prof. Pritam B Sharma  today recalled an adage “the education builds nation but poor quality education destroys the nation beyond repairs” and called for a through revisit of the country’s Education system.   He  says in the context of pledge, taken on the eve of 71st Independence day celebrations, it becomes all the more important that we seriously ponder over the quality and relevance of education for nation building. Dr sharma who is currently Vice Chancellor Amity University Gurugram said Education is not just Knowledge, it is the tripod of Knowledge, Character and Behavior. India was a great India, in fact  the Golden Eagle of the world and what we often rejoice India as the Viswa Guru,  primarily because of the value system deeply focused on practicing truth, purity, and service with aatmiyata, empathy, ...

Kidney Transplant gets underway at Yashoda Super Specialty Hospital, Kaushambhi

Buoyed by its first successful kidney transplant in newly opened kidney transplant wing, Y ashoda Super Specialty Hospital, Kaushambhi  today   resolved to further its mission of according world standard medical care facility at an   affordable cost ,and minced no words to articulate   that the kidney transplantation, too, would come under the same ambit. The Hospital’s Director Upasana Arora, speaking at a function organized to mark formal launching of the department said the hospital has emerged as an iconic institution with advance and world class patient care in NCR region of the national capital.it provides comprehensive world standard healthcare with help of cutting edge technologies and top professionals. . Dr PB Singh, who was the professor and founder head of department of urology, institute of Medical Sciences, BHU, is heading the department here and sais at least six patients who are   under work for their kidney transplant and the t...